Archive for July, 2012

July 27, 2012

हर नियम मुझसे टूट जाता है
हर धागा हाथ से छूट जाता है
कुछ देर खेलने के बाद मुझसे
हर खिलौना जाने क्यूँ रूठ जाता है

July 13, 2012

मेरे अन्दर एक शख्स रहता है
बड़े नायाब आदमी हैं वो
जब मूड करता है मुझसे बातें करते हैं
हर काम में अपने आईडिआस पेश करते हैं
आईडिआस काम कर जायें तो बोलते हैं
देखा, मेरी बात सुना करो
अगर न काम करें तो कहते हैं
बाद में बात करता हूँ, मूड नहीं है
जब अकेला होता हूँ तो गायब हो जाते हैं
जब सबके साथ होता हूँ तो कहते हैं अभी सुनो मेरी बात
एक दिन कहने लगे तुम्हें मेरी कोई परवाह नहीं
अपनी धुन में रहते हो मेरा कुछ ख़याल नहीं करते
बस अपनी अपनी कहते रहते हो
खुबसूरत लोगों से मिलते हो
तो मेरी कभी बात नहीं करते
अब में तंग आ गया हूँ तुम्हारे अन्दर बैठे बैठे
मुझे अन्दर से बहार कब लोगे?
मुझे लोगों से कब मिलवाओगे?
कब मिलूँगा मैं आखिर ज़माने से?
भाई आखिर मेरी अपनी पहचान कब होगी?
चलो उस खुबसूरत लड़की के पास जाओ
इधर उधर बकचोदी करते रहते हो
लौंडों से मुन्ह्चोदी करते रहते हो
सही कहूँ तो पुरे झंटर हो चुके हो
दाढ़ी वाढ़ी बनाते नहीं, बाल कटवाते नहीं
और ये क्या हीरो की तरह पीछे छोटी बना कर घुमाते हो?
तुम्हें क्या लगता है, बड़े स्मार्ट लगते हो?
ससुर घोंचू हो पूरे
कहाँ फंसवा दिया भगवन इस इंसान के साथ
खैर अब तो फंस गया हूँ
अच्छा चलो उधर उस कोने मैं जो है उसके पास चलो
हाँ वोही जिसने थोरी छोटी स्किर्ट पहन रखी है
अबे दिखती मॉडर्न है, है देसी, नोर्मल है बे
तुमको साले किसी बात की अकिल नहीं, कोई पहचान नहीं
काहिल अब उठो, हिलो, और जाओ उसके पास
और हाँ, अपनी बकबक मत शुरू करना
इस बार मेरी बात करना, ठीक है
उसे बताना मैं कितना स्मार्ट हूँ
मैं मतलब मैं, तुम नहीं, समझे लौडू
उससे कहना कभी आकर तसल्ली में मुझसे मिले
मेरे पास सुनाने को एक लम्बी कहानी है
काफी अच्छे अच्छे एलिमेंट हैं उसमें
कौन सी कहानी? अबे सी तुझे थोड़े ही सब बताता हूँ
कुछ स्पेशल बातें मैं, स्पेशल लोगों के लिए बचाता हूँ
अच्छा अब चल, टाइम मत वेस्ट कर
हाई री किस्मत, किस निठल्ले के संग बाँध दिया,
सही कहा है ऊपर वाले,

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कभी जमीं तो कभी आसमान नहीं मिलता

अबे क्या कर रहा है, कैसे बात कर रहा है
ऐसे भी कोई मुस्कुराता है, ऐसे कोई सर हिलाता है
अबे इतना शर्मायेगा, तो कदू कुछ होगा तेरा
अबे भीड़ तो हमेशा ही होगी,
तो तू क्या सबका नंबर ख़तम होने का इंतज़ार करेगा?
हद है! इसी लिए तेरा कभी कुछ नहीं होता
आगे बढ़, थोडा शोर कर, हलचल कर, अपने बारे में बता कुछ
अबे ये सब मत बता बे, इम्प्रेसन मत ख़राब कर मेरा
धत तेरे की, सब चौपट कर दिया, चुप रह थोड़ी देर
बस सुन, सर हिला जैसे समझ में आ रहा है और तुझे इंटेरेस्ट है
भाड़ में गए तेरे मूड और तेरी चोइस
अभी अपुन का टाइम चल रहा है
अबे तो अगर पूछ रही है तो बोल दे किताब के बारे में
वैसे भी लौड़े तुने और कुछ किया ही कहाँ है
अब साले जमादार से, झाड़ू के बारे में ही तो पूछेंगे लोग
अच्छा चल अब सेंटी मत हो, चल लगा रह, सही जा रहा है
अब भूतनी के, अपनी ही हांकेगा या मेरी भी कुछ बोलेगा
तेरे को साले बस ओपनिंग चाहिए,
फिर सारे ग्यारह लोगों की बैटिंग तू अकेले कर लेगा
इसी लिए साले तू कभी तेंदुलकर नहीं बन सकता
अबे तेरे अन्दर कोई टीम भावना ही नहीं है
अबे भावना बोले तो स्पिरिट, हद है
अबे चूप, इतनी जोर से मत बता मेरे बारे में मेरे बाप
नाज़ुक मिजाज़ आदमी हूँ मैं, थोडा तहजीब मेरे दोस्त
थोड़ी नजाकत से, थोड़ी शराफत औ अदा से
ऐसा लगाना चाहिए की किसी ख़ास आदमी की बात हो रही है
अबे नहीं, अभी नहीं, अभी मेरा मूड नहीं है, रेडी नहीं हूँ मैं अभी
उससे बोल मुझसे मिलना है तो मुसरुफियत में कॉल करे
यार मैं ऐसे थोड़े ही सबसे रूबरू हो सकता हूँ
थोडा इत्मीनान होना चाहिए, थोड़ा यू नो?
हाँ मतलब थोड़ी तसल्ली होनी चाहिए न
तभी तो मैं ठीक से खुल पाउँगा
वो जो छुपा रखा है मैंने अन्दर वो दिखा पाउँगा
तुझे क्यूँ नहीं दिखाता? तुझे क्यूँ नहीं बताता?
साले जल जायेगा? तू सह नहीं पायेगा
हाँ मेरे दोस्त, ये सच है, अच्छा अब चल यहाँ से
ये किस का अहसास करा दिया तुने
ये किस चीज़ से मिला दिया तुने
इसके बारे में तो मुझे भी पता नहीं था
है कहीं मालूम था, पर इसका पता मालूम नहीं था मुझे
अरे छोड़ उसको, भाड़ में जाने दे
अरे मैं कहता हूँ और मिल जाएँगी
और बहुत से लोग हैं ज़माने में, तू चल अभी
मुझे बहुत जलन हो रही है, चल अभी यहाँ से
चल यहाँ से वरना मैं कहता हूँ मैं कहता हूँ
चल यार प्लीज़ चल मेरे भाई
हाह, कितनी जोर से बोला अन्दर तूने
ये क्या याद करा दिया मुझे
अबे ये किस चीज़ से मिला दिया मुझे
ये देख, देख क्या हो रहा है
फिर से उग रहे हैं मेरी खाल पे
हाँ देख लाल चकत्ते उभर आये हैं
देख, कैसे फैल रहे हैं, आह, मेरे मुंह पे भी आ गए हैं
अब कैसे छुपाऊँगा इन्हें, कल काम पर कैसे जाऊंगा
लोगों ने देख लिया तो?
क्या बोला तू? क्या हुआ जो लोगों ने देख लिया तो?
भाड़ मैं जाने दूँ उनको?
काश मैं ऐसा कर पता, कितना अच्छा होता
लेकिन वो हंस दिए तो? सुन कर फिर यूँ चल दिए तो?
नहीं पीछे मुड़ कर मत देख
बुलाने दे उनको, उनके पास नहीं जाना
कभी आकर तुझसे पूछे तो भी मेरे बारे में नहीं बताना
अभी तैयार नहीं हूँ मैं,
समय सही यही है तो हो
मैं आदमी हूँ, व्यापार नहीं हूँ मैं
अब बार बार मत पूछ इनके बारे मैं
अपने आप ठीक हो जायेंगे
कुछ दिन बैठा रहूँगा यूँ ही लोगों के बीच
कुछ दिन मैं कुछ न बोलूँगा
तू प्लीज़ मैनेज कर लेना
कुछ भी कोई बोले, मेरे बारे में मत बताना
चकत्ते? हाँ वो दिख जायेंगे उनको शायद
तू दाढ़ी बढ़ा लेना, कुछ हाल बुरा बना लेना
इतनी बातें करता है, कुछ बात बना देना
हाँ, बस अब मैं चुप हो रहा हूँ
तुझसे मिलूँगा मैं कुछ रोज़ में
मेरे लिए दुआ करना, की मैं वापस आऊँ
तू अपना ध्यान रखना, कुछ न कुछ करते रहना
जबतक हद से बात न बढ़ जाये
मेरे बारे में कुछ न कहना
और अगर कहना भी, तो जरा अंदाज़ के साथ
सरगोशियों में लेना तू मेरा नाम
लोगों से नहीं, मेरा जिक्र उनकी खामोशियों से करना
आहिस्ता से, जैसे कोई पंछी दूर एक उड़ान भरने के बाद
अभी अपने घोंसले में सो रहा है
वो उठेगा कुछ देर में, आराम के बाद
फिर वो सुनाएगा दास्ताँ, इतनी लम्बी
और अगर वो न उठा, तो याद रखना
आता होगा उसकी खोज में वो झुण्ड एक कबूतरों का
उनसे कहना, बस यहीं तक था सफ़र मेरा
में कहीं गया नहीं हूँ, बस सो रहा हूँ
हाँ बड़ी देर तक सो रहा हूँ
सफ़र जरा लम्बा हो गया था
जब भी आसमान साफ़ होगा तो देखना
एक बाज उसपर उड़ता होगा
यूँ, ऐसे, गोल गोल ऊपर घूमता होगा
किसी को पता नहीं चलेगा, पर तू जान लेना
वो जो छोटे पंख वाला, वो जो हर बात पे दांत दिखाता था
वो जो मुस्कुराता था, वो जो रातों को सो नहीं पाता था
वो जो अपनी माँ को कहता था, मुझको देख ले जितना देखना है
इक दिन मैं दूर चला जाऊंगा, वो जिस क्षितिज की तुम कहानियाँ कहते हो
में उसके पार होकर आऊंगा, हाँ मैं घर अपना वहीँ बनाऊंगा
वो जिसको लोगों ने कहा था इसके पंख सीधे नहीं है
वो जो अपने पंखों की उड़ान ढूँढने को चोटी से कूद गया था
वो बाज़ उसी को ढूँढता होगा,
क्यूंकि इक दिन कबूतरों के झुण्ड की खातिर
वो छोटा सा चिड़ा उस बाज़ से जा भिड़ा था
उसके पंख नुच गए थे, वो चोटिल हो गया था
वो गिर रहा था, बाज़ देख रहा था
उसके यूँ गिरने से बाज़ को कुछ लगा था
उसको मालूम हो चला था, वो किस्से जा भिड़ा था
वो छोटा चिड़ा था, पर दिल दिल उसके अन्दर बाज़ का था
उसके पंख छोटे थे, टेढ़े थे, उड़ने में फिस्सड्डी थे
लेकिन वो क्या उड़ा था, लेकिन वो क्या गिरा था
आज जब वो शांत हो अपने घोंसले में पड़ा है
तो देखो उसने क्या कर दिखाया है
वो टेढ़े पंख वाला, उसकी खातिर
आज कबूतर और बाज़ संग रो रहे हैं

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आज फिर बैठ टीले पे मैंने सूरज को उगते देखा
आज फिर शाम ढले, मैं घर आ गया
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मैं वो मूरत नहीं जिसे तुम पूजते हो
मैं वो पत्थर हूँ जिसे तोड़ मूरत निकाली गयी
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ऐ ज़िन्दगी चोट मार
सन्नाटे में मुझे अपनी चीखें सुनाई देती हैं
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समझ के मुझको तुम क्या पा जाओगे परवाज़
जान खुद को मैं परेशान हूँ, तुम भी उलझ जाओगे
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सम्हाल लो मुझको कि गिर रहा हूँ मैं
रखना जेब में चंद सिक्के कि बिक रहा हूँ मैं
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उलझ के गिर जाओगे तो मज़ा आ जायेगा
संग हंसने लग जाओगे तो रंग आ जायेगा
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यूँ ही सदा दे रहे हैं हम तो अज़ान में
जवाब आएगा तो जवाब देंगे ये वो सिलसिला नहीं
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खेल समझ के खेल रहे हैं पर इसे खेल न समझो
यहाँ कोई हार जीत नहीं यहाँ कोई मुकाबला नहीं
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July 2, 2012

वो जो बैठ मेरे अन्दर मुझसे बातें करता है
मुझे मसरूफ रखता है ज़माने से जुदा रखता है
हर पल मुझसे कहता है मुझे खुद से बाहर कब लाओगे?
ज़माने से कब मिलूँगा मैं? कब मेरी भी पहचान होगी?
चीख कर लेता हूँ जब भी उसका नाम
हो नाराज़ वो कहता है खामोश हो जाओ
ऐसे भी कोई बात करता है? वो कहता है
चिल्लाने से कहीं कोई सुनता है? वो कहता है
बड़ा नाज़ुक मिजाज़ हूँ मैं
मेरा नाम सरगोशियों में लिया करो,
मेरे बारे में यूँ ही न कहा करो कुछ
ज़िक्र मेरा दूसरों की खामोशियों से किया करो
तेरे चिल्लाने से मैं रगड़ उठता हूँ
मेरी खाल पे उभर आते है चकत्ते लाल
और ऐसे नहीं जाती इनकी जलन
कई शाम मैं डूबा रहता हूँ
कुछ ठहरी बुझी सी बातों में
मेरी फफ्की हुयी खाल उभड़ती है
फिर हलके से बैठ जाती है

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कुछ है जो छूट रहा है
कुछ है जो हाथ नहीं आता
कुछ है जिसने बेचैनी दी है
कुछ है जो नज़र नहीं आता

ऐसा लगता है आगे जाकर
ये सड़क कहीं खो गयी है
ये सड़क जिसपर मैं खड़ा हूँ
ये सड़क जो भटक गयी है

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कुछ इतना गुमसुम है माहौल
कि सुन सकता हूँ मैं अपनी ही दास्ताँ
कि लोग चीख रहे हैं इसमें,
कुछ सुनाई नहीं देता

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बड़ी भागदौड़ मची हुयी है
बड़ी तंग ये भगदड़ है
मेरे लिए ही होती है ये
इसमें मैं ही भागता हूँ

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July 2, 2012

मैं शायर नहीं हूँ पर
शायरी करनी पड़ती है
ये मेरी ज़िन्दगी नहीं है
पर जीनी पड़ती है

जैसे दातुन रगड़ के तुम
दांत माँज लेते हो
शब्दों को उगल के मैं
दिमाग साफ़ रखता हूँ

आम हो या ख़ास हो
दर्द सबको होता है
कोई मुंह ढक रो लेता है
कोई शब्दों में धो लेता है

मैं वो नहीं जिसने गुजरते देखा
मैं वो हूँ जिसपे गुजरी है
कभी पूरा एक नोट था
अब खुदरा सिक्का हूँ

यूँ ही रो पड़ा मैं
आसुओं में तर हुआ
जब सोचने बैठा तो
जान न पाया किसके लिए

वजह कोई एक नहीं है
काफी कुछ बेवजह है
जो हुआ कुछ उसके लिए
जो न हुआ कुछ उसके भी लिए

आसुओं का काम बह निकलना है
हमारा कारण ढूँढना है
कुछ उनके नाम जो न मिले
कुछ उनके जिनके निशाँ बचे