चलो इस रात में कोई सफ़र करते हैं
कहीं दूर जाते हैं कोई मंज़र तलाशते हैं
इक तालाब इक सड़क इक दरिया तूफानी
जिसके थमे पानी में झांकते हैं गहरे तक
और कूद लेते हैं इसमें पकड़ने को
उफनते चाँद की परछाइयाँ
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बड़ा सीधा सा मुआमला है
इसमें मोहब्बत जैसा कोई भी बेरंग बवाल नहीं
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