ज़िन्दगी फिर आवाज़ देगी
मुझे एक नया आगाज़ देगी
छुट गयीं हैं चलती राहें तो क्या
रुके रह चलने वाला नया अंदाज़ देगी
हाँ मैं भटक गया हूँ
झुण्ड से बिछड़ गया हूँ
जिसके साये का कोई छोर नहीं
मुझे वो आसमान देगी
रास्तों पे चलता आया हूँ
हाँ, मैं दूर निकल आया हूँ
जिसकी खोज में रहते हैं कारवां
मुझे वो मकान देगी
तुम भी मिलोगे वहां
कभी युहीं मिलोगे हाँ
बंद सीने में तूफां हों गर
होठों पे मुस्कान होगी
मत हाथ देना तुम मुझको
दूर कर देना तुम मुझको
चाहत जो जग गयी तो
आफत का फरमान होगी
खिड़की बंद रखूँगा मैं
किवाड़ें भी उढ़का दूंगा
जिसे आना हो वो आएगा
नहीं कोई पहचान होगी
कैद कर लूँगा मैं खुद को
गुमशुदाओं में भी न मिलूँगा
उसे मैं मिल ही जाऊँगा
जिसे बस मेरी तलाश होगी
किसी रोज़ यूँ भटककर
तेज किसी तूफां में फंसकर
सर छुपाने को कोई मकां दिखे तो
देखना, उसपर मेरी ही छाप होगी
अन्दर चले आना तुम
दरवाज़ा न खटखटाना तुम
मैं न मिला वहां तो
देखना, मेरी इक लाश होगी
बैठोगे क्या उसके किनारे
रोओगे क्या मेरे सिरहाने
कुछ भी करना बाहर न जाना
बड़ी ज़ालिम वो रात होगी
हंस लेना यार तुम
क्या करोगे उदास होके
खिड़की पे खड़े होना
बारिश की फुहार होगी
हाथों से अपने बाजू सहलाना
चीज़ों से मेरी दिल बहलाना
देखना किसी खिड़की के नीचे
खुदी तुम्हारी भी नाम होगी
आने का शुक्रिया मैं अदा कर न पाऊँगा
छोड़ने तुमको दरवाज़े तलक न जाऊँगा
चाहूँगा तुम ता-उम्र रहो
पर सुबह तो हर हाल होगी
तुम जब चले जाओगे
मुझे रुसवा तो कर जाओगे
पर देखना ता-उम्र
कैसे रह रह के मेरी ही बात होगी
इक दिन नींद में तुम
झटके से उठ जाओगे
मैं कौन था और क्या कह रहा था
उस दिन सब कुछ ही समझ जाओगे
फिर तुम सो न पाओगे
बेचैन से हो जाओगे
देखना कैसे खिचे से
खिड़की पे आ जाओगे
खिड़की पे हाथ के नीचे
सामने मकां की पर्छतियों पे
देखोगे फिर आसमां पे
सब तरफ नाम अपना ही पाओगे
मैं तो चला जाऊँगा
हर सूं बिखर जाऊँगा
हंस देना यार तुम
थोडा सुकूं पा जाऊँगा
आशिक हूँ यार मैं
ग़म का मारा हुआ भी हूँ
थोड़ा अफ़सोस तो कर लो
मैं हारा हुआ भी हूँ
तेरे अरमानों में रहता हूँ
तेरी यादों में बसर करता हूँ
खुश रहो तुम यार मेरे
में अब आखिरी सफ़र करता हूँ
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जैसे होता आया है वैसे ही हो जायेगा
तू आज को सम्हाल कल खुद ही संवर जायेगा
ये जो पानी आज सर के ऊपर आ चढ़ा है
तू तैर मत खड़ा रह खुद बखुद उतर जायेगा
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